Chinese AI चैटबॉट DeepSeek पर कई देशों ने बैन लगा दिया है। ऑस्ट्रेलिया, इटली और ताइवान ने इसे अपनी सरकारी सेवाओं में इस्तेमाल करने से रोक दिया है। इसकी वजह राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा चोरी का खतरा बताया जा रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों यह AI टूल दुनियाभर में बैन हो रहा है।
deepseek kya hai?
deepseek एक चीनी कंपनी है, जिसने 2023 में Liang Wenfeng द्वारा स्थापित किया गया था। यह एक ओपन-सोर्स AI सिस्टम है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में तेज़ी से लोकप्रिय हो गया है। इसका DeepSeek R1 मॉडल OpenAI के ChatGPT जैसे मॉडलों को चुनौती दे सकता है, और इसकी कीमत भी काफी कम है। सुरक्षा चिंताओं के कारण कुछ देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

किन देशों ने DeepSeek पर बैन लगाया?
- ऑस्ट्रेलिया:
- ऑस्ट्रेलिया सरकार ने DeepSeek को सरकारी सिस्टम और उपकरणों से हटा दिया है।
- सरकार का कहना है कि यह AI टूल देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
- हालांकि, आम लोग इसे अपने निजी मोबाइल और लैपटॉप पर इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन सरकार ने सभी को सतर्क रहने की सलाह दी है।
- इटली:
- इटली ने DeepSeek को इसलिए बैन किया क्योंकि यह यूज़र्स का डेटा सुरक्षित तरीके से नहीं रखता।
- सरकार को चिंता है कि इस प्लेटफॉर्म पर लोगों की निजी जानकारी सुरक्षित नहीं है।
- आयरलैंड की डेटा सुरक्षा एजेंसी भी इस AI टूल की जांच कर रही है।
- ताइवान:
- ताइवान की सरकार ने DeepSeek को सभी सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और अन्य सरकारी सेवाओं में इस्तेमाल करने से रोक दिया है।
- सरकार को डर है कि यह AI टूल संवेदनशील डेटा चीन को भेज सकता है, जिससे देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
DeepSeek को बैन करने की वजहें:
- डेटा चोरी का खतरा: DeepSeek का सारा डेटा चीन में स्टोर होता है, जिससे लोगों की निजी जानकारी चीनी सरकार तक पहुंच सकती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा: कई देशों को डर है कि यह AI टूल गुप्त सरकारी डेटा लीक कर सकता है।
- साइबर सुरक्षा की चिंता: अमेरिका समेत कई देशों की कंपनियां भी DeepSeek से दूरी बना रही हैं।
क्या और भी देश इसे बैन कर सकते हैं?
अभी अमेरिका की सरकारी एजेंसियां DeepSeek को लेकर सतर्क हैं। अगर इसकी डेटा सुरक्षा को लेकर और चिंताएं बढ़ती हैं, तो आने वाले समय में और भी देश इस पर बैन लगा सकते हैं।
निष्कर्ष:
DeepSeek एक लोकप्रिय AI चैटबॉट है, लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर कई देशों ने सख्त कदम उठाए हैं। ऑस्ट्रेलिया, इटली और ताइवान ने इसे बैन कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि यह उनकी गोपनीय जानकारी चीन को भेज सकता है। अगर यह मुद्दा बना रहता है, तो और भी देश इस पर रोक लगा सकते हैं।
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